शान से चलो by - Rakesh
Oct 24, 2010Just found a good poem written by Rakesh and wanted to mention here for you. Read further to find the link to the original post.
क्यों फिक्र गिरने की जब
बादलों को छूने का हौसला है तुम में ,
बस निडर बनो और बढ़ चलो
नहीं होते परवाज़ सभी के पास,
लग जायेंगे पंख पैरों में ,
उड़ने की चाह लेकर बस उड़ चलो |
मंजिल की फिक्र किस बात की
जब रास्ते पर है तुम्हे यकीं
हर मोड़ पर मिलेगी एक नयी मंजिल
यह अभी से मान के चलो |
साथी साथ हो तो अच्छा है
साथ ना मिले तो एकला चलो |
चले हो तुम तो फिर ठोकर का डर क्यूँ !
चल दिया है तो फिर शान से चलो !!
- By Rakesh
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